Wednesday, July 29, 2009
REALITY SHOWS NEW COMMUNITY DISASTER
RASHTRA RAKSHA ANDOLAN BY RSS
Sangh Parivar - Vasudhaiva Kutumbhkam |
Posted: 27 Jul 2009 09:06 AM PDT Wishing you all a very happy month of Shravan which is full of fun and festivities. This month also falls in AUGUST according to English calendar which is socially & politically also very important to all of us.
FOLLOWING IMPORTANT OCCASIONS ARE THERE IN THIS MONTH
1) 05 AUG 2009 RAKSHA BANDHAN 2) 09 AUG STARTING OF QUIT INDIA MOVEMENT 3) 15 AUG BHARAT VIBHAJAN DIWAS & ALSO INDEPENDENCE DAY
Friends keeping in view all these occasions, RSS has called for VYAPAK JANJAGARAN ANDOLAN through Small meetings, SMS, E - Mail, Submitting The Memorandum, Arranging Conference, Seminar, etc; From 01 AUG TO 16 AUG 2009 The PARIWAR ORGANISATIONS will hold various activities in this fort night.
Hence we all can contribute in this, by way of sending SMS & E - Mails to all our friends and create the awareness on the following points which are of NATIONAL IMPORTANCE AND HAS BECOME NEED OF HOURto pressurize the Central govt to take URGENT STEPS.
05AUG2009
On the auspicious occasion of RAKSHA BANDHAN, let us celebrate Vishwa Bandhutwa DiwasWestern culture has given us various days like Valentine’s Day , Friendship Day, Father’s Day, Mother’s Day etc; Let us all celebrate World Brother Sister day.When god sent us to the earth there are only two relations which are fixed and permanent - they are Mother and Brother / Sister. Rest are relations created after wards. Hence Sangh wants to appeal to citizens to celebrate this festival to show “Naitikata ka parichay aur sanskar ki punar rachana”.
We can go to Defence establishment, Police organisation on this day and tie a rakhi to them to symbolise their dedication to protect us.The Policemen and the Soldiers will be morally boosted by this.
09 AUG to 16 AUG ,2009 In all these days Sangh has called for VYAPAK JANJAGARAN ANDOLAN by furling our National flag in villages, towns, cities, mohallahs with the slogan
TIRANGA LEHARAYENGE BHARAT BACHAYENGE ; RASHTRA RAKSHA KA BHAV LAYENGE तिरंगा लहरायेंगे भारत बचायेंगे ; राष्ट्र रक्षा का भावः लायेंगे !
Further the points which are to be covered while speaking or sending SMS & E-mail are as follows
1) Terrorism policy
Sangh demands, there should be Rashtra Niti and not Rajniti on Terrorism. How much you facilitate Kasab and Afzal and trouble to Sadhvi Pragya which has been reported should not happen. There should be one Niti and that is Rashtra Niti on this. We must learn from those countries where such attack take place how they are dealing with culprits with iron hand. Same way in Bharat also suspected and culprits should should be punished. It may be Malegoan, Godhra, Bombay blasts etc in order to please one community there should not be Rajniti on this.
There should be one committee of enquiry consisting of all walks of society and should be given iron hand with out any political, social & religious pressure
2) Vikasit Seema Kushaal Bharat * Our borders are to be fenced and there should be guarding on zeroline and not a single inch of our Matrubhoomi should be compromised.
3) Seema Vikas
The biggest threat now is Himalayan terrain ,the activities going on there is alarming and it is the urgent need of the govt to protect and safeguard those states where Himalayan boundaries are coming. 4) NCC a must for 11th and12th class
The NCC training for above classes should be made compulsory with a new syllabus in order to impart the Rashtriyata Bhav and Rashtra Chetana in these youths as it has become a need of hour.
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Posted: 27 Jul 2009 06:16 AM PDT जड़तामूलक जातिवाद और अस्वस्थ रूढियों के जारी रहने पर निराशा जाहिर कर रहे हैं तरुण विजय 27 July, 2009 तरुण विजय पिछले दिनों हरियाणा में जींद के एक गाव में सैकड़ों ग्रामीणों ने बड़ी वीरता का प्रदर्शन किया। वहशियों की तरह उन्होंने अपने ही गाव के एक निहत्थे युवक को दौड़ा-दौड़ा कर इतना पीटा कि उसकी मृत्यु हो गई। वह युवक अपनी पत्नी को घर लिवा लाने के लिए पुलिसकर्मियों व अदालती अफसरों के साथ ससुराल पहुंचा था। राजनेताओं और भ्रष्ट पुलिस की साठगाठ के चलते इस मामले में किसी के प्रति न्याय होगा, इसका कोई भरोसा नहीं। जिस युवती से युवक का प्रेम विवाह हुआ था, उसके मा-बाप और गाव वाले शायद अपने गाव, घर और खानदान की इज्जत बचाने के नाम पर अब खुश भी होंगे और मामले को दबा भी देंगे। इस कोलाहल में क्या किसी का ध्यान उस बेचारी युवती की व्यथा पर जाएगा, जिसे घर में कैद कर उसके पति को बर्बरता से मार डाला गया। व्यापक हिंदू समाज के भीतर विभिन्न जातियों और संप्रदायों में शादी करने पर अक्सर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में नवविवाहित दंपति की उनके ही परिजनों व धर्मरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के समाचार मिलते हैं। कोई हिंदू सामाजिक, धार्मिक नेता इसकी कभी निंदा नहीं करता। वास्तव में विवेकानंद, सावरकर और लोहिया के बाद हिंदुओं के भीतर पनप रहे पाखंड, जड़तामूलक जातिवाद और अस्वस्थ रूढि़यों के विरुद्ध कोई विशेष स्वर नहीं उठा। केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और गायत्री परिवार जैसे आध्यात्मिक आंदोलन सुधारवादी हिंदू मान्यताओं को जीवन में उतारने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद जातिगत क्षुद्रता का अहंकार बड़े-बड़े दिग्गजों के व्यवहार में दिखता है। यह राजनीति में जातिवाद की प्रतिष्ठा का विष फल है। बहुत कम लोग हानि-लाभ की चिंता किए बिना जाति भेद के विरुद्ध खड़े होते हैं। मा.स. गोलवलकर, बाला साहब देवरस, रज्जू भैया सदृश चिंतकों ने समरसता का व्यवहार प्रतिपादित किया, पर राजनीति में तो नाम से पहले जाति पूछने और फिर उसी आधार पर पद बाटने का चलन है। सबसे ज्यादा दु:ख हिंदू तीर्थस्थानों और मंदिरों की दुर्दशा देखकर होता है। संस्कृत के सम्यक ज्ञान से शून्य केवल जाति के आधार पर पौरोहित्य कर्म करने वाले पंडों को राजनीति के वोटभक्षी नेताओं का जो तर्कहीन समर्थन मिलता है, उसी कारण मंदिर अस्वच्छ, पूजापाठ विधिविहीन, श्लोकों के गलत उच्चारण, देवपूजन में लापरवाही और श्रद्धालुओं को लूटने के केंद्र में बदल गए हैं। बहुत समय पहले रज्जू भैया से चर्चा हुई थी कि क्यों नहीं अखिल भारतीय स्तर पर पुरोहित कार्य के विधिवत प्रशिक्षण की ऐसी केंद्रीय व्यवस्था की जाए जो बहुमान्य शकराचार्यो एवं संत परंपरा के श्रेष्ठ धर्मगुरुओं के संरक्षण में चले। फिर जैसे आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति होती है, उसी प्रकार मंदिरों की देखरेख और वहां पूजा-पाठ के निमित्त भली प्रकार प्रशिक्षित पुरोहित ही नियुक्त किए जाएं। बदलते समय और जीवन की आवश्यकताओं को देखते हुए उनकी सम्मानजनक न्यूनतम आजीविका भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। समाज में जो पवित्र कार्य जीवन, मृत्यु तथा अन्य अवसरों के लिए आवश्यक माने जाते हैं, उनके प्रति युगानुकूल चैतन्य व तदनुरूप उचित व्यवस्था हिंदू समाज के अग्रणी संतों और महापुरुषों की चिंता का विषय होना चाहिए। यदि राजनेता भी आपसी दलगत दूरिया भुलाकर हिंदू नव चैतन्य के लिए एकजुट होते हैं तो इससे उनकी प्रतिष्ठा और लोकमान्यता बढ़ेगी, साथ ही हिंदू समाज का भी हित होगा। क्या हर की पैड़ी या चार धामों की पूजा व्यवस्था में अप्रशिक्षित और संस्कृत का कम ज्ञान रखने वाले ब्राह्मणों से सुप्रशिक्षित एवं पाडित्यपूर्ण अनुसूचित जाति के युवाओं को बेहतर मानना अधर्म होगा? क्या भगवान किसी वंचित (दलित) वर्ग के पुरोहित द्वारा अर्पित अर्चना अस्वीकार कर देंगे? देश के मंदिरों को एक अखिल भारतीय धार्मिक व्यवस्था के अंतर्गत अधिक स्वच्छ, विनम्रतापूर्ण श्रद्धालु-केंद्रित, पैसे के वर्चस्व से परे, भावना-आधारित हिंदू जागरण तथा संगठन का केंद्र बनाने के लिए हिंदू-संगठनों को ही आगे आना होगा। आज हिंदुओं की नई पीढ़ी में आधुनिकता और नवीन प्रयोगों के प्रति स्वाकारोक्ति दिखती है, जैसे गुजरात में पिता की मृत्यु पर बेटी द्वारा मुखाग्नि देना, अंतर्जातीय, अंतप्र्रातीय विवाहों का चलन, कुछ मंदिरों में पूजा व दर्शन की सुचारू व्यवस्था, लेकिन इसके बावजूद गंगा, यमुना के तीर्थ-घाटों पर गंदगी, गोमुख तक के पास कचरा, यात्रियों की पूजा व आवासीय व्यवस्थाओं में पंडों की लूटखसोट के कारण अराजकता जैसे दृश्य भी दिखते हैं। जातिभेद और अस्पृश्यता आज भी जिंदा है। क्या यह सब उस देश के लिए शोभा देता है जो आज दुनिया में सबसे युवा जनसंख्या वाला सभ्यतामूलक समाज है? क्या मंदिर देवता और श्रद्धालु के बीच केवल व्यक्तिगत लेन-देन तक सीमित रहना चाहिए या देवताओं के गुण श्रद्धालुओं तक पहुंचाने का सशक्त केंद्र बनना चाहिए? पूजा करेंगे महिषासुरमर्दिनी दुर्गा की, रावणहंता राम की, बलशाली हनुमान की और व्यवहार में दिखाएंगे कायरता, स्त्री-दमन तथा जातीय शोषण के लक्षण। ऐसे मंदिरों और पूजा का क्या अर्थ? मंदिर हिंदू सशक्तिकरण, भाव प्रबोधन, नूतन युग की माग के अनुसार जातिभेद, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज आदि के विरुद्ध जागरण के लिए कायाकल्प करें। आज विश्व में हिंदू समाज, धर्म और हिंदू प्रतिभाओं की प्रशसा इसलिए होती है, क्योंकि ये हजारों वर्ष पुरानी सनातन परंपराओं का अनुगमन करते हुए भी बदलते वक्त के साथ खुद को ढालने की अपूर्व क्षमता दिखाते हैं। सुधारों का अधुनातन प्रभाव गावों तथा शहरों के रूढिबद्ध अंधकार से घिरे लोगों तक भी पहुंचे तभी हिंदू जाति के उत्कर्ष पर लगा ग्रहण हटेगा। Source: Dainik Jagran |